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मुस्लिमों को ‘घुसपैठिया’ बताने वाले मोदी के बयान पर विदेशी मीडिया में तीखी आलोचना

 26 Apr 2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुसलमानों को घुसपैठिया कहे जाने वाले की चर्चा भारत की मुख्यधारा मीडिया के लिए चाहे मुद्दा न हो,  विदेशी मीडिया ने इसे गंभीर मसला बताते हुए  बयान को मुसलमानों के खिलाफ नफ़रती भाषण बताया हैं। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने 21 अप्रैल को राजस्थान की एक रैली में मुसलमानों को घुसपैठिया बताया था। विपक्षी दलों की शिकायत पर भारत के चुनाव आयोग ने  बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से इस मामले में 29 अप्रैल तक जवाब मांगा है। 



विदेशी मीडिया ने क्या कहा


अमेरिकी अखबार 'वाशिंगटन पोस्ट' ने 22 अप्रैल को  'मोदी पर चुनावी रैली में मुसलमानों के खिलाफ नफ़रती भाषण देने का आरोप' शीर्षक से एक रिपोर्ट वेबसाइट पर छापी। वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा ने प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा और अलीगढ़ में मोदी ने विवादित बयान दिया। अख़बार में नागरिकता क़ानून का भी ज़िक्र किया गया है।  इसे लेकर अख़बार ने लिखा कि इस कानून के लागू होने के बाद देश के कई हिस्सों में विवाद हुआ। अख़बार ने इस कानून की आलोचना की और कहा इसमें धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात की गई है, जो भारत के धर्मनिरपेक्षता के मूलभूत सिद्धांतों से अलग है।

चीनी न्यूज़ वेबसइट 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' ने लिखा कि आगामी लोकसभा चुनाव में बढ़त बनने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने मुस्लिम विरोधी भाषण देना शुरू कर दिया है। उनके बयानों से चुनाव के मानकों यानी आचार संहिता का उल्लंघन हो रहा है। वेबसाइट ने लिखा कि मोदी ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर कहा कि इस का हर पन्ना देश के टुकड़े टुकड़े करने की बात करता हैं।

अमेरिका की ‘टाइम्स मैगज़ीन’ ने लिखा की मोदी के इस टिप्पणी का आधार विभाजनकारी हिंदू राष्ट्रवाद है, जिसके तार बीजेपी और आरएसएस से जुड़े हैं। मैगज़ीन ने अमेरिका में मुसलमानों के अधिकारों के लिए काम करने वाले समूह 'काउंसिल ऑफ़ अमेरिकन इस्लामिक रिलेशंस' (सीएआईआर) के एक बयान को अपनी रिपोर्ट में जगह दी है जिसमें मोदी के भाषण की आलोचना की गई है। सीएआईआर ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से अपील की है कि भारत में मुसलमानों और अल्पसंख्यक समूहों के साथ हो रहे भेदभाव के मामलों को देखते हुए, भारत को चिंताजनक देशों की सूची में शामिल किया जाए। मैगज़ीन ने लिखा है कि 2002 में गुजरात में दंगे हुए थे, उस समय मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे और 2005 में मोदी पर अमेरिका ने अपने देश में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। 

मैगज़ीन ने वॉशिंगटन स्थित रिसर्च ग्रुप 'इंडिया हेट लैब' के आंकड़े भी अपनी रिपोर्ट में लिखे। यह रिपोर्ट भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुए नफ़रती भाषण का लेखा-जोखा रखता है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में 668 मामले दर्ज़ किए है थे, जो नफरती भाषण से जुड़े थे।

अमेरिका के ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने छापा कि नरेन्द्र मोदी आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर देश के विकास को लेकर वैश्विक नेता के तौर पर खुद को पेश कर रहे थे। देश में हो रहे धार्मिक और नफ़रती भाषण जो उनकी पार्टी के नेता दे रहे थे। अपनी छवि बचने के लिए मोदी इन भाषण से दूरी बना कर रखते थे। लेकिन रविवार को उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी और एक चुनावी सभा में मुसलमानों को कथित तौर पर 'घुसपैठिए' कहे दिया जिसको लेकर विवाद हो रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने छापा की देश की कई संस्थाएँ बीजेपी के अनुसार कार्य कर रही हैं। लेकिन भारत के सहयोगी देश मोदी के इस व्यवहार को लेकर अपनी आंखें बंद किए हुए है क्योंकि उन्हें लगता है कि चीन से निपटने के लिए भारत की अहम भूमिका हो सकती हैं।

तुर्की के ‘टीआरटी वर्ल्ड’ ने इस हेडलाइन के साथ रिपोर्ट छापी  है कि वोट की तलाश में मोदी ने मुसलमानों को 'घुसपैठिए' कहा जिसके बाद नाराजगी देखी जा रही है। टीआरटी वर्ल्ड ने लिखा है कि मोदी ने अपने भाषण में पहले की सरकार में प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के एक पुराने भाषण का ज़िक्र किया कि पूर्व पीएम ने कहा था कि "देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी ने इस पुराने भाषण को लेकर झूठ बोला है। टीआरटी वर्ल्ड ने छापा की सितंबर, 1950 में जन्मे मोदी अपने छह भाई बहनों में तीसरे हैं। इसके बाद भी सत्ताधारी बीजेपी ये ग़लत दावा करती रही है कि मुसलमान ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं।